RSS Chief Mohan Bhagwat today history was written from a western perspective | भागवत बोले- आज का इतिहास पश्चिमी नजरिए से लिखा गया: उनकी किताबों में चीन-जापान मिलेंगे, भारत नहीं; लोगों में तीसरे विश्वयुद्ध का डर

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नई दिल्ली20 मिनट पहले

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मोहन भागवत ने कहा- दुनिया को नई दिशा भारतीयता से ही मिलेगी। (file) - Dainik Bhaskar

मोहन भागवत ने कहा- दुनिया को नई दिशा भारतीयता से ही मिलेगी। (file)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने पाठ्यक्रमों में बदलाव की बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत को सही रूप में समझने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।

भागवत ने कहा- आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है, वह पश्चिमी नजरिए से लिखा गया है। उनके विचारों में भारत का कोई अस्तित्व नहीं है। विश्व मानचित्र पर भारत दिखता है, लेकिन उनकी सोच में नहीं। उनकी किताबों में चीन और जापान मिलेंगे, भारत नहीं।

RSS चीफ ने कहा, ‘पहले विश्व युद्ध के बाद शांति की बातें की गईं, किताबें लिखी गईं और राष्ट्र संघ (League of Nations) बना, लेकिन दूसरा विश्व युद्ध हुआ। फिर संयुक्त राष्ट्र बना, लेकिन आज भी लोग चिंता है कि कहीं तीसरा विश्व युद्ध न हो जाए।

संघ प्रमुख मंगलवार को दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) और अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने कहा- दुनिया को अब एक नई दिशा की जरूरत है और यह दिशा भारतीयता से ही मिलेगी।

दुनिया भारत की ओर उम्मीद से देख रही

भागवत ने कहा- भौतिकवाद के कारण पूरी दुनिया में अशांति, असंतोष और संघर्ष बढ़ा है। पिछले 2 हजार सालों में पश्चिमी विचारों के आधार पर इंसान को सुखी और संतुष्ट बनाने की कोशिशें नाकाम रहीं। अब दुनिया भारत की ओर उम्मीद से देख रही है।

भागवत ने कहा- विज्ञान और आर्थिक क्षेत्र में तरक्की से लोगों के जीवन में भौतिक सुविधाएं बढ़ीं, लेकिन दुख कम नहीं हुए। विलासिता की वस्तुएं आईं, पर मानसिक पीड़ा दूर नहीं हुई। गरीबी और शोषण बढ़ा और गरीब-अमीर के बीच की खाई और चौड़ी हो गई है।

भारतीयता सिर्फ नागरिकता नहीं

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत का मतलब केवल किसी भौगोलिक सीमा में रहना या नागरिकता पाना नहीं है। भारतीयता एक दृष्टिकोण है, जो पूरे जीवन के कल्याण की सोच रखता है। धर्म पर आधारित यह दृष्टिकोण चार पुरुषार्थों – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन का हिस्सा मानता है। इनमें मोक्ष अंतिम लक्ष्य है।

‘भारत कभी सबसे समृद्ध राष्ट्र था’

भागवत ने कहा कि धर्म की इसी जीवनदृष्टि के चलते भारत कभी दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र था। आज भी पूरी दुनिया उम्मीद करती है कि भारत उसे रास्ता दिखाएगा। इसलिए हमें खुद को और अपने राष्ट्र को तैयार करना होगा। शुरुआत खुद से और अपने परिवार से होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि लोगों को आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या वे अपने दैनिक जीवन में भारतीय दृष्टिकोण का पालन कर रहे हैं या नहीं। उन्होंने सुधार और बदलाव के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।

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RSS प्रमुख बोले- देश सशक्तिकरण से बढ़ेगा: महिलाओं को पिछड़ी परंपराओं से मुक्त किया जाना चाहिए, ये किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव

य स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महिलाओं को पिछड़ी परंपराओं और रूढ़ियों से मुक्त करना बेहद जरूरी है। महाराष्ट्र के सोलापुर में ‘उद्योगवर्धिनी’ संस्था के आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा- महिलाओं का सशक्तिकरण किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव है। पूरी खबर पढ़ें…

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Author: Source :www.bhaskar.com

Publish Date: 2025-07-23 01:34:27

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