MP News:चंबल में अपराध नहीं, डाकू थे! इन मामलों में आए दिन गोलियां चलती हैं, सगे ही हथियार उठाते हैं
Murena.चंबल में डकैतों का मुद्दा लगभग खत्म हो गया है। लेकिन अपराध कम नहीं हुआ। भूमि विवाद सबसे अधिक क्राइम बढ़ा है। आए दिन जमीन पर झगड़े को लेकर गोलियां चलती हैं। हर महीने मर्डर और हाफ मर्डर के कई मामले सामने आते हैं। फर्जी जमीन के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं। यह हैरान करने वाला है कि न तो पुलिस बल और न ही जिला प्रशासन ने इन मामलों को जड़ से खत्म करने की कोशिश की है।
हाल ही में कैलारस तहसील के कोटसिथरा गांव से एक मामला सामने आया है। यहां दो पक्ष 15 बिस्वा जमीन पर आमने-सामने हैं। नारायण धाकड़ इस जमीन पर है। लेकिन उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी संपत्ति दूसरों को दी गई। वह नहीं जानता था कि राजेश, रामलखन और रामदीन धाकड़ ने 100 रुपये के स्टाम्प पर फर्जी नोटरी लिखी है जो उसकी जमीन पर हमला करने के लिए बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि नारायण धाकड को उसकी 15 बिस्वा जमीन के 40 लाख रुपये दे दिए गए हैं, और 10 लाख रुपये शेष हैं। इनके चाचा गयाराम धाकड़ इस पूरे कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दरअसल, गयाराम एक सरकारी शिक्षक है और इस गांव का बीएलओ है।
किसी को नोटरी का पता नहीं, कोई रिकॉर्ड नहीं
न्यूज 18 ने पूरे मामले की जांच करके इसका खुलासा किया। टीम इस नोटरी को बनाने वाले वकील तक पहुंची। टीम ने ऑनलाइन सेंटर भी देखा जो स्टांप बनाकर बेचा। इस जमीन की असली नोटरी को कोई पक्ष नहीं बता पा रहा है। न्यूज18 की टीम ने पीड़ित नारायण धाकड़ से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानता था। यह फर्जी नोटरी किसने और कब बनाई गई, मैं नहीं जानता। अब चौंकाने वाली बात यह है कि नोटरी में उसके चाचा के लड़के भी गवाह हैं। उसके चाचा भी नोटरी को पूरा कागज देता है।
अब पुलिस प्रशासन के चक्कर में फंस रहे हैं। पुलिस ने कहा कि वे इस पूरे मामले को देख रहे हैं। पहले मामले की जांच की जाएगी, फिर स्पष्ट तथ्यों पर कार्रवाई की जाएगी। किसी व्यक्ति की जमीन का फर्जी कागज बनाना कानून के खिलाफ है।
देव कच्छ गांव में एक और मामला है जहां दबंगों ने जमीन पर कब्जा कर लिया। यहां पड़ोसी गांव के तीन बदमाशों ने फरियादी केदार धाकड़ की दो बीघा से अधिक जमीन पर कब्जा कर लिया। अब वे इस जमीन पर मुर्गी फार्म भी खोल रहे हैं। समाचार मिलते ही केदार धाकड़ तहसील कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट तक घूम रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत कहीं नहीं सुनी गई। उन्हें बताया गया कि पिछले महीने भी उनकी जमीन का सीमांकन हुआ था। आरोपियों को बाद में छोड़ दिया गया। लेकिन आरोपियों ने फिर से उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है।