कोलकाता/गुवाहाटी18 मिनट पहले
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम की भाजपा सरकार पर राज्य में रह रहे बांग्ला भाषी लोगों को धमकाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने शनिवार को कहा कि असम में जो लोग सभी भाषाओं और धर्मों के साथ शांति से रहना चाहते हैं, उन्हें हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार धमका रही है। ममता ने कहा-
बांग्ला भाषा देश की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, और असम में भी इसका बड़ा इस्तेमाल होता है। लेकिन जो लोग अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहते हैं, उन्हें डराया जा रहा है। यह असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है।
इसके जवाब में मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि असम में हम अपनी जनता से नहीं, बल्कि सीमा पार से हो रही घुसपैठ से लड़ रहे हैं। इससे असम की जनसंख्या में बड़ा बदलाव आ रहा है। कई जिलों में हिंदू अब अल्पसंख्यक बनने के कगार पर हैं।
CM सरमा बोले- हम अपनी संस्कृति और पहचान बचाने की कोशिश कर रहे
CM सरमा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी घुसपैठ को बाहरी हमला माना है। हम अपनी संस्कृति और पहचान बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ममता इसे राजनीति बना रही हैं। उन्होंने कहा कि असम में असमिया, बांग्ला, बोडो, हिंदी सभी भाषाएं और समुदाय साथ रहते हैं। लेकिन अगर कोई राज्य अपनी सीमाएं और संस्कृति नहीं बचाएगा, तो वो टिक नहीं पाएगा।
16 जुलाईः बंगालियों से भेदभाव पर ममता ने पैदल मार्च किया
CM ममता बनर्जी के पैदल मार्च में अभिषेक बनर्जी समेत पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हुए।
ममता बनर्जी ने 16 जुलाई को भाजपा शासित राज्यों में बंगाली बोलने वाले लोगों के साथ हो रहे कथित उत्पीड़न के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। ममता ने कहा कि बंगालियों के प्रति भाजपा के रवैये से मैं शर्मिंदा और निराश हूं। अब से मैंने तय किया है कि मैं बांग्ला में ज्यादा बोलूंगी। अगर आप मुझे डिटेंशन कैंप में रखना चाहते हैं तो रखें।
यह रैली कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला के दोरीना क्रॉसिंग तक निकाली गई। इसमें अभिषेक बनर्जी समेत पार्टी के कई बड़े नेता इस रैली में शामिल हुए। कोलकाता के अलावा पार्टी ने राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में भी इसी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया। यह ऐसे समय पर हो रहा है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के दौरे पर आने वाले हैं।
रैली कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला के दोरीना क्रॉसिंग तक निकाली गई।
ममता ने कहा था- बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान NCR की बैकडोर एंट्री
ममता की इस रैली को ओडिशा में कुछ अवैध बांग्लादेशियों को हिरासत में लेने, दिल्ली में बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान शुरू करने और असम में एक बंगाली किसान को विदेशी न्यायाधिकरण (फॉरनर्स ट्रिब्यूनल) के नोटिस दिए जाने की घटनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव एक साल बाद है। जानकारों का कहना है कि टीएमसी बंगाल में भाषा विवाद, बंगाली अस्मिता के मुद्दे को फिर से उठाना चाहती हैं। ममता ने कुछ दिन पहले चुनाव आयोग पर आरोप लगाया था कि वह भाजपा की कठपुतली की तरह काम कर रहा है। उन्होंने यह भी आशंका जताई थी कि मतदाता सूची में संशोधन कहीं एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) को पीछे के दरवाजे से लागू करने की कोशिश तो नहीं है।
टीएमसी ने बुधवार को रैली के पहले भाजपा के खिलाफ पोस्ट लिखी।
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Author: Source :www.bhaskar.com
Publish Date: 2025-07-19 19:14:49