नई दिल्ली7 मिनट पहले
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जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे।
कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन संसद के दोनों सदनों में उनके खिलाफ महाभियोग के नोटिस पीठासीन अधिकारियों को सौंपे गए। इन पर पक्ष-विपक्ष के 215 सांसदों (लोकसभा में 152 और राज्यसभा में 63) के हस्ताक्षर हैं।
महाभियोग प्रस्ताव को भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम और अन्य दलों के सांसदों का समर्थन मिला है। साइन करने वालों में सांसदों में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगोपाल और पीपी चौधरी जैसे सांसद भी शामिल हैं।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में इसकी जानकारी दी थी। स्वतंत्र भारत में पहली बार हाई कोर्ट के किसी कार्यरत जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव आया है।
अब आगे क्या…
- जांच समिति बनेगी: अब संसद अनुच्छेद 124, 217, 218 के तहत जांच करेगी। न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 की धारा 31बी के मुताबिक जब एक ही दिन दोनों सदनों में महाभियोग नोटिस देते हैं तो संयुक्त जांच समिति का बनती है।
- तीन महीने में रिपोर्ट: समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज, किसी हाई कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस और एक प्रतिष्ठित न्यायविद होंगे। समिति जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी और रिपोर्ट तीन महीने में देगी।
- संसद में देंगे रिपोर्ट: समिति जांच रिपोर्ट संसद में देगी। दोनों सदन चर्चा करेंगे। जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर मतदान होगा।
जस्टिस वर्मा के घर में आग के बाद बेहिसाब कैश मिला था
यह तस्वीर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई थी। इसमें 500 रुपए के नोटों की जली हुई गड्डियां नजर आ रही हैं।
जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे।
घटना के कई वीडियो भी सामने आए। इसमें जस्टिस के घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे दिखे। जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।
CJI की बनाई कमेटी ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया 22 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था।
रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत पूर्व CJI खन्ना ने 8 मई सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।
जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का स्टोर रूम पर कंट्रोल था कैश कांड की जांच कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट 19 जून को सामने आई थी। 64 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था।
10 दिनों तक चली जांच में 55 गवाहों से पूछताछ हुई और जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास का दौरा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। आरोप इतने गंभीर हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए।
रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पूर्व CJI खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी।
जस्टिस वर्मा के घर का स्टोर रूम, जहां आग लगने के बाद जले नोटों की गड्डियां मिली थीं।
जस्टिस वर्मा ने SC में इंटरनल जांच कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी जस्टिस यशवंत वर्मा ने 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट और महाभियोग की सिफारिश रद्द करने का अनुरोध किया।
जस्टिस वर्मा ने कहा कि उनके आवास के बाहरी हिस्से में नकदी बरामद होने मात्र से यह साबित नहीं होता कि वे इसमें शामिल हैं। क्योंकि आंतरिक जांच समिति ने यह तय नहीं किया कि नकदी किसकी है या परिसर में कैसे मिली। पूरी खबर पढ़ें…
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CJI ने जस्टिस वर्मा को सरनेम से बुलाने पर वकील को फटकारा, बोले- मर्यादा में रहिए
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके सरनेम से संबोधित करने पर एक वकील को फटकार लगाई। वकील मैथ्यूज नेदुम्परा जस्टिस वर्मा को सिर्फ वर्मा कहकर संबोधित कर रहे थे।
इस पर चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा- क्या वे आपके दोस्त हैं? वे अब भी जस्टिस वर्मा हैं। आप उन्हें कैसे संबोधित करते हैं? थोड़ी मर्यादा रखिए। आप एक विद्वान जज की बात कर रहे हैं। वे अब भी कोर्ट के जज हैं।
Author: Source :www.bhaskar.com
Publish Date: 2025-07-22 02:22:34