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छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में खरगोश पालन के एक शौकीन को बीमार खरगोश बेचना फार्म संचालक को भारी पड़ गया. ग्राम देवदा आरंग स्थित एक फार्म द्वारा दिए गए बीमार खरगोशों के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने सख्त रुख अपनाते हुए फार्म पर 28,350 रुपये का जुर्माना लगाया.
जुर्माने का यह फैसला पशु व्यापार में पारदर्शिता और उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा की बड़ी मिसाल बन गया है. उपभोक्ता विवेक निराला ने एक फार्म के विज्ञापन पर भरोसा कर 19 खरगोश खरीदे थे.
फार्म की ओर से भरोसा दिलाया गया था कि खरगोशों पर बीमा उपलब्ध है और अगर सभी की मृत्यु होती है, तो खरीदार को 70 फीसदी राशि वापस की जाएगी लेकिन कुछ ही दिनों में खरगोशों की तबीयत बिगड़ने लगी और सभी की मौत हो गई.
विवेक निराला ने जब खरगोशों की मौत की जानकारी विक्रेता को दी, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. बार-बार संपर्क करने के बावजूद कोई सहायता नहीं मिली, जिससे विवेक ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. उनका आरोप था कि जान-बूझकर उन्हें बीमार जानवर बेचे गए और वादों से मुकरा गया.
फोरम की सुनवाई के दौरान पेश की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने विक्रेता की लापरवाही उजागर कर दी. रिपोर्ट में साफ लिखा था कि सभी खरगोश पहले से बीमारी से ग्रसित थे और उन्हें अस्वस्थ हालत में ही बेचा गया था. यह रिपोर्ट फैसला लेने में सबसे महत्वपूर्ण आधार बनी और फार्म को दोषी ठहराया गया.
फोरम ने पाया कि फार्म संचालक ने उपभोक्ता को बीमार पशु बेचकर न केवल सेवा में कमी की बल्कि गुमराह भी किया. उसने वादे के अनुसार नुकसान की भरपाई नहीं की. आयोग ने आदेश दिया कि 70 फीसदी राशि लौटाई जाए और इसके साथ मानसिक क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय भी जोड़ते हुए कुल 28,350 रुपये की भरपाई की जाए.
यह मामला खरगोश पालन से जुड़े लोगों के लिए एक चेतावनी है कि सिर्फ मुनाफे के लिए गुणवत्ता से समझौता न करें. उपभोक्ता अधिकार विशेषज्ञों के अनुसार यह फैसला बताता है कि ठगी या धोखे का सामना करने पर उपभोक्ता को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बल्कि कानूनी रास्ता अपनाकर न्याय की लड़ाई लड़नी चाहिए. सही दस्तावेज, रिपोर्ट और जागरूकता से जीत संभव है.
Author: Rahul Singh Source :hindi.news18.com
Publish Date: 2025-07-13 18:59:09