मां के खाते में जमा 32 लाख रुपए हथियाने के लालच में बेटे ने हत्या की साजिश रची।
श्योपुर में विशेष अदालत ने मां की हत्या के आरोपी बेटे को फांसी की सजा सुनाई है। बेटे ने मां की संपत्ति हथियाने के लिए उसे मौत के घाट उतारा था। पहले छत से फेंका, फिर गला दबाया और शव को बाथरूम में दफना दिया था।
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6 मई 2024 के इस मामले में बुधवार को विशेष न्यायाधीश एलडी सोलंकी ने फैसला सुनाते हुए कहा- यह अपराध दयनीय नहीं बल्कि नृशंस प्रकृति का है। जिस मां ने एक बच्चे को अनाथाश्रम से गोद लेकर पाल-पोस कर बड़ा किया, उसी मां की संपत्ति के लिए हत्या करना केवल आपराधिक नहीं, बल्कि अमानवीय भी है।
कोर्ट ने दीपक पचौरी को धारा 302 के तहत मृत्युदंड और 1000 रुपए का जुर्माना सुनाया। धारा 201 के तहत 7 साल की सजा और 1000 रुपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया। लोक अभियोजक राजेंद्र जाधव ने मध्यप्रदेश शासन की ओर से मामले की पैरवी की।
मृतक ऊषा पचौरी (ब्लैक एंड व्हाइट) जिन्होंने बेटे को उस समय गोद लिया जब वो 3 साल का था।
अदालत ने फैसला सुनाते हुए रामचरित मानस, गुरुग्रंथ साहिब, कुरान और बाइबिल में दी गईं मां-बेटे के रिश्तों की मिसाल दी…
रामचरितमानस के अयोध्याकांड में श्रीराम अपनी माता कौशल्या से कहते हैं…
“सुनु जननी सोइ सुतु बड़भागी।
जो पितु मातु वचन अनुरागी।।
तनय मातु पितु तोषनिहारा।
दुलर्भ जननी सकल संसारा।।”
अर्थात, वहीं पुत्र सौभाग्यशाली है जो माता-पिता के वचनों के प्रति अनुराग रखता है और उन्हें प्रसन्न करता है। ऐसे पुत्र संसार में दुर्लभ हैं।
रामायण के ही एक अन्य प्रसंग में श्रवण कुमार अपने वृद्ध और अंधे माता-पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थयात्रा करवाते हैं- यह भारतीय आदर्श पुत्र की जीवंत मिसाल है।
गुरुग्रंथ साहिब में भी माता-पिता की सेवा को वीरता और धर्म से जोड़ा गया है:
“मात पिता की सेवा करही,
अपना गति भित्ती जाणी।।
वीर बिना कुल कैसे चले,
मात पिता को राखी करे।।”
जो माता-पिता की सेवा करता है, वही कुल का रक्षक होता है और वही सच्चा वीर कहलाता है। जिस मां की गोद में व्यक्ति पला-बढ़ा, उसी को भूल जाना, अधर्म ही नहीं, घोर पाप है।
इस्लाम में माता-पिता की सेवा को ईश्वर की इबादत के बराबर माना गया है।
कुरान की सूरा अल-इसरा, आयत 23 में लिखा गया है… “तुम्हारे रब ने हुक्म दिया है कि उसके सिवा किसी की इबादत न करो और अपने माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि वे बुढ़ापे में तुम्हारे पास हों, तो उन्हें ‘उफ’ तक मत कहो और शिष्टाचार से बात करो।”
बाइबिल में भी माता-पिता का अपमान प्राणदंड योग्य अपराध “जो अपने माता या पिता को मारे या श्राप दे, वह निश्चय ही मृत्यु का भागी है।”
दीपक ने मां की हत्या के बाद शव को सीढ़ियों के नीचे बाथरूम में दफना दिया था।
शव को बाथरूम में दफनाने के बाद मामा को बुलाया दीपक पचौरी ने 6 मई 2024 की सुबह जब उषा देवी तुलसी को जल चढ़ाने सीढ़ियां चढ़ रही थीं, तभी उन्हें धक्का दे दिया। घायल मां को लोहे की रॉड से मारा और साड़ी से गला घोंट दिया। शव को लाल कपड़े में लपेटकर घर के अंदर सीढ़ियों के नीचे बने बाथरूम में गड्ढा खोदकर दफना दिया, फिर ईंट से चुनाई कर दी। इसके बाद बाथरूम में कबाड़ा भर दिया।
इसके दो दिन बाद आरोपी ने अपने मामा और रिश्तेदारों को बुलाया और कोतवाली थाने में गुमशुदगी दर्ज करा दी। पुलिस पूछताछ में उसकी बातों में विरोधाभास मिला। कड़ी पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
दंपती ने ग्वालियर के अनाथालय से गोद लिया था उषा देवी के भाई अशोक शर्मा ने पुलिस को बताया था कि उषा और भुवनेंद्र पचौरी की कोई संतान नहीं थी। भुवनेंद्र वनकर्मी थे। उन्होंने ग्वालियर के एक अनाथालय से 3 साल के बच्चे को गोद लिया। इसका नाम दीपक रखा। दंपती ने दीपक को खूब पढ़ाया-लिखाया, लेकिन उसकी नीयत उषा की प्रॉपर्टी और दौलत पर बिगड़ गई। पिता की मृत्यु के बाद मिले 16.85 लाख रुपए उसने शेयर बाजार में गंवा दिए। मां के खाते में जमा 32 लाख रुपए पाने के लालच में उसने हत्या की योजना बनाई।
पुलिस ने वारदात के दो दिन बाद 8 मई को दीपक पचौरी से सख्ती से पूछताछ की तो मां की हत्या करना कबूल कर लिया था। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया था।
पिता की मौत के बाद ऐश की जिंदगी जीने लगा अशोक ने बताया कि 2021 में भुवनेंद्र की मौत के बाद दीपक (25) उनकी जमा पूंजी से नशा करता और ऐश की जिंदगी जीने लगा। वो ऐशो-आराम के लिए महीनों तक घर से बाहर रहा। उसके पास रुपए खत्म हो गए तो घर लौट आया। रुपए के लिए मां से झगड़ता था। उनके साथ मारपीट भी करता था।
उषा के बैंक खाते में पति की सर्विस के लाखों रुपए जमा थे। 30 लाख रुपए की एफडी है। 2 लाख कैश और 8 लाख रुपए के जेवर हैं। श्योपुर शहर में उसका 2 मंजिला मकान है। महिला के पास कुल डेढ़ करोड़ रुपए की संपत्ति थी।
दीपक ने ये घर बेचने के लिए मां पर दबाव बनाया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था।
12वीं में हासिल किए थे 94% अंक दीपक पचौरी को अनाथालय से श्योपुर स्थित अपने घर लाने के बाद उसके माता-पिता बने पचौरी दंपती ने उसे खूब पढ़ाया-लिखाया। 2018 में 12वीं क्लास में उसने 94% अंक हासिल किए थे। इसके बाद वह यूपीएससी के एग्जाम की तैयारी करने दिल्ली चला गया था। वह वारदात के एक दिन पहले 5 मई 2024 को ही दिल्ली से घर लौटा था।
छह माह पहले मां को चूहा मार दवा खिलाकर मारने की कोशिश की वारदात के बाद पुलिस पूछताछ में सामने आया था कि दीपक ने इस वारदात के छह माह पहले भी उषा की हत्या का प्रयास किया था, तब उसने मां को खाने में चूहा मार दवा खिलाई थी। उलटी होने पर उनकी जान बच गई, तभी से वह दीपक पर संदेह करने लगी थीं। पुलिस को इस बारे में भी परिवारवालों से जानकारी लगी।
Author: Source :www.bhaskar.com
Publish Date: 2025-07-23 17:56:19