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बरसात के मौसम में शरीर अक्सर सुस्ती, जकड़न और एलर्जी जैसी समस्याओं से प्रभावित होता है. ऐसे में नियमित योग अभ्यास न केवल शरीर को सक्रिय बनाता है, बल्कि स्वास्थ्य को भी संपूर्ण रूप से बेहतर करता है. वज्रासन जहां पाचन तंत्र को सुधारता है, वहीं भुजंगासन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है. वहीं प्राणायाम, विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और कपालभाति, श्वसन तंत्र को साफ रखते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं.
वज्रासन एकमात्र ऐसा आसन है जिसे भोजन के बाद भी किया जा सकता है. यह पाचन तंत्र को मजबूती देता है और गैस, अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है. मानसून में अक्सर खाने के बाद भारीपन महसूस होता है, ऐसे में यह आसन बेहद फायदेमंद होता है. यह घुटनों और जांघों की मांसपेशियों को भी मजबूत बनाता है. नियमित रूप से वज्रासन करने से शरीर में स्थिरता आती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी बढ़ती है. यह आसन मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी है.
भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है. यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है और रीढ़ की हड्डी को लचीलापन प्रदान करता है. मानसून में होने वाली जकड़न और अकड़न से राहत दिलाने के लिए यह आसन बेहद उपयोगी है. भुजंगासन फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और सांस की तकलीफ में भी राहत देता है. यह आसन मानसिक तनाव को कम करता है और थकान से छुटकारा दिलाता है. नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और आलस्य दूर होता है.
ताड़ासन एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली योगासन है. यह शरीर में खिंचाव पैदा करता है और रीढ़ की हड्डी को सीधा व मजबूत बनाता है. मानसून में होने वाली थकावट और शरीर में जमा पानी की वजह से होने वाली सूजन से राहत दिलाने में यह आसन मदद करता है. यह संतुलन और स्थिरता बढ़ाता है. बच्चों की लंबाई बढ़ाने में भी यह आसन सहायक माना जाता है. नियमित रूप से ताड़ासन करने से पूरे शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर में चुस्ती बनी रहती है.
त्रिकोणासन शरीर को तिकोना आकार देने वाला योगासन है जो शरीर के दोनों ओर खिंचाव उत्पन्न करता है. यह आसन कमर, कूल्हों और पैरों की मांसपेशियों को टोन करता है. मानसून में भारीपन और थकावट से राहत दिलाने के लिए त्रिकोणासन बेहद कारगर है. यह पाचन को भी सुधारता है और लचीलापन बढ़ाता है. यह आसन शरीर की चर्बी घटाने और संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है. मन को शांत करने और तनाव कम करने में यह विशेष रूप से प्रभावी है.
अनुलोम-विलोम प्राणायाम श्वास को नियंत्रित करने की तकनीक है, जो मानसून में खासतौर पर उपयोगी है. यह नासिका मार्ग को साफ करता है और सांस की समस्याओं से राहत दिलाता है. बदलते मौसम में एलर्जी, जुकाम और खांसी जैसी समस्याओं को दूर करने में यह बेहद मददगार है. यह प्राणायाम मानसिक शांति देता है और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करता है. नियमित अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. यह शरीर और मन दोनों को संतुलित करता है.
कपालभाति प्राणायाम पेट और फेफड़ों की सफाई के लिए प्रभावशाली माना जाता है. मानसून में जब वातावरण में नमी और एलर्जी फैलती है, तब यह प्राणायाम शरीर को अंदर से शुद्ध करने का काम करता है. इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है. यह दिमाग को तेज करता है और तनाव को कम करता है. सुबह खाली पेट इसे करने से पूरे दिन ऊर्जा बनी रहती है. यह प्राणायाम श्वास संबंधी बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है.
मर्कटासन एक ट्विस्टिंग योगासन है जो रीढ़ की हड्डी और कमर के लिए अत्यंत लाभकारी होता है. मानसून में पीठ में जकड़न और अकड़न की समस्या आम होती है, जिसे यह आसन दूर करता है. यह शरीर की नसों को खोलता है और मेरुदंड को लचीला बनाता है. मर्कटासन पेट की चर्बी को भी घटाने में सहायक है. यह मानसिक तनाव को कम करता है और शरीर को शांत करने में मदद करता है. रोजाना अभ्यास से शरीर में स्फूर्ति और मन में स्थिरता आती है.
बालासन को चाइल्ड पोज़ भी कहा जाता है. यह विश्रामदायक आसन है जो मानसून में तनावग्रस्त मांसपेशियों को राहत देता है. यह शरीर को गहराई से रिलैक्स करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है. बालासन पीठ, कंधों और गर्दन के दर्द को दूर करता है. यह आसन थकान को मिटाकर ऊर्जा को पुनः भर देता है. मानसून में जब शरीर भारी महसूस हो, तब यह आसन अत्यंत लाभकारी साबित होता है. यह ध्यान और आत्मचिंतन के लिए भी श्रेष्ठ स्थिति प्रदान करता है.
Author: Madhuri Chaudhary Source Link :https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/health-do-these-yogasanas-during-rainy-season-and-diseases-will-stay-away-know-more-local18-ws-kl-9396792.html
Publish Date: 2025-07-14 07:29:49