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अपनों को खोने का गम काफी बड़ा होता है. लेकिन जिसे जाना है, वो तो चला ही जाता है. उसके बाद शुरू होती है अंतिम संस्कार की प्रक्रिया. पहले लाश को लकड़ी की सहायता से जलाया जाता था. लेकिन अब इलेक्ट्रिक मशीन में लाशें …और पढ़ें

अंतिम संस्कार के दौरान उठकर बैठ जाती है बॉडी (इमेज- फाइल फोटो)
कहा जाता है कि इलेक्ट्रिक मशीन में शव जलाने के दौरान शरीर में हलचल होती है और आवाजें निकलती हैं, जिससे ऐसा लगता है मानो लाश ‘जिंदा’ हो रही हो. दरअसल, इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में शव को उच्च तापमान (800-1000 डिग्री सेल्सियस) पर जलाया जाता है. यह प्रक्रिया लकड़ी की चिता से तेज और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक मानी जाती है. लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जो लोगों में भय पैदा करती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, जब शव को भट्टी में रखा जाता है, तो गर्मी के कारण शरीर के मांसपेशियों और ऊतकों में संकुचन (contraction) होता है. इससे शरीर में हल्की-फुल्की हलचल या ऐंठन दिखाई दे सकती है, जो देखने में ऐसा लगता है जैसे शव ‘उठकर बैठ रहा हो.’ इसके अलावा, शरीर में मौजूद तरल पदार्थ और गैसें गर्मी के कारण वाष्पित होती हैं, जिससे फटने या सिसकने जैसी आवाजें निकलती हैं. ये आवाजें सुनकर लोग डर जाते हैं और मिथक फैलने लगते हैं कि शव ‘जिंदा’ हो गया.
ऐसी है प्रक्रिया
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की प्रक्रिया को समझाया गया. लकड़ी की चिता में शव पूरी तरह राख में बदल जाता है, लेकिन इलेक्ट्रिक भट्टी में ऐसा नहीं होता. गर्मी से मांस जल जाता है और केवल हड्डियां बचती हैं, जिन्हें बाद में एक मशीन (Cremulator) में पीसकर पाउडर बनाया जाता है. यह पाउडर ही अस्थि कलश में भरा जाता है, जिसे लोग राख समझते हैं.
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Author: Sandhya Kumari Source Link :https://hindi.news18.com/news/ajab-gajab/viral-cremation-shocking-truth-death-body-sits-inside-electric-furnace-body-sounds-like-asking-help-9381228.html
Publish Date: 2025-07-09 16:06:44