इससे पहले आपको बता दें कि वैशाली सिंह कराहलिया MPPSC 2018 में डीएसपी पद के लिए चयनित हुई थी. इस दौरान डीएसपी के लिए 10 सीटें थी. जिसमें उन्होंने 8वां स्थान हासिल किया था.
वैशाली सिंह कराहलिया बताती हैं कि उनका कोई इरादा नहीं था कि वह स्टेट पीएससी की तैयारी करें. वह एमबीए करना चाहती थी. लेकिन परिवार में किसी ने इस परीक्षा को पास किया. इसके बाद उन्हें स्टेट पीएससी की तैयारी की तरफ दिलचस्पी दिखाई. इस दौरान उन्होंने इंदौर में कोचिंग शुरू कर दी.
उन्हें नहीं पता था कि MPPSC से क्या हासिल होगा. उन्हें बस इतना पता था कि इस परीक्षा को पास करने से अच्छी पोस्ट पर जाकर काम करने का मौका मिलेगा. इसके बाद तैयारी के दौरान विषय अपने आप में उत्सुकता पैदा करने वाले थे. ऐसे में उनका मन पढ़ाई में लगते गया. पढ़ाई के दौरान धीरे-धीरे समझ आया कि इसमें डीएसपी, डिप्टी कलेक्टर जैसे पद मिलते हैं. जो स्टूडेंट्स को काफी फैंटसाइज करते हैं.
वैशाली सिंह कराहलिया बताती हैं कि पहली बार जो एग्जाम दिया था उसमें प्री तो निकल गया. लेकिन मेंस किन्हीं कारणों की वजह से अटक गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने दूसरे प्रयास में ही डीएसपी के पद में 8वीं रैंक हासिल की. उन्होंने बताया कि वर्दी देखकर लगा था कि पुलिस सेवा में आना चाहिए. इसके बाद वह डीएसपी पद पर आकर काफी खुश हुईं. उनका कहना है कि इस पद पर आकर उन्हें जमीन से जुड़कर काम करने का मौका मिला.
नौकरी की शुरुआत में बनी ये चुनौती
वैशाली सिंह कराहलिया बताती है कि जब वह शुरू में नौकरी से जुड़ी तो उन्हें लगा कि विभाग भी समाज की तरह पूरुष प्रधान है. दरअसल, पुराने थाने में टॉयलेट ऐसे थे कि उसे सिर्फ पुरुष ही इस्तेमाल कर सकते थे. शायद ऐसी धारणा रही होगी कि इन पदों पर सिर्फ पुरुष आकर बैठेंगे. लेकिन अब धारणा बदल रही है और बदलाव हो रहा है.
12वीं पास जैसी फिल्में एक महीने तक मोटीवेट करेंगी
वैशाली सिंह कराहलिया का कहना है कि अगर आप सर्विस की ग्लैमर देखकर नौकरी में आना चाहते हैं, तो मुश्किल हो सकती है. आपका विषयों में मन लगना चाहिए. वहीं, 12वीं पास जैसी फिल्में भी आपको एक महीने तक मोटीवेट कर सकेंगी. अगर आपको यहीं करना है, तो अंदर से मोटीवेट होना पड़ेगा. मुझे अपनी पढ़ाई कभी भी बोझ नहीं लगी. वह कभी 13-14 घंटे नहीं पढ़ा. वह सिर्फ लाइब्रेरी जाकर तय समय तक ही पढ़ती थी. वहीं, घर आकर सिर्फ कभी 1 या दो घंटे ही पढ़ा करती थी.