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New Treatment of BP Diabetes: नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक द्वारा विकसित नई तकनीक से ब्लड प्रेशर, डायबिटीज सहित कई बीमारियों के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की संभावना है.

डायबिटीज के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन.
कोशिका में इलेक्ट्रिक इंपल्स जांच की विधि
डाउन टू अर्थ की खबर के मुताबिक एर्विन नेहर ने अपने साथी बर्ट साकमैन के साथ कोशिकाओं में सिंगल आयन चैनल की क्रिया पर शोध किया, जिसके लिए उन्हें 1991 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला था. इस शोध के कारण लैब में एक नई विधि पैच-क्लैम्प तकनीक का आविष्कार हुआ.इसका आसान भाषा में यह मतलब हुआ कि कोशिकीय स्तर पर शरीर में विद्युत धारा को मापने की विधि विकसित हो गई. यानी कोशिकाओं के हर धड़कन को इस विधि से मापा जा सकता है. इसके कारण कई बीमारियों की प्रक्रिया को सटीक से मापने की क्षमता विकसित हो गई क्योंकि कोशिकाओं के आयन चैनल को समझने में मदद मिली. इससे इलाज का सटीक रास्ता भी तैयार हुआ है.
नोबेल लॉरेट की बैठक में एर्विन नेहर ने बताया कि उनकी यह खोज कोशिकाओं की क्रिया-विधि को समझने में कितनी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अब हम समझते हैं कि आयन चैनल और विद्युत संकेत केवल नसों या मांसपेशियों की कोशिकाओं तक सीमित नहीं हैं. ये शरीर की लगभग सभी कोशिकाओं में ज़रूरी होते हैं. इस खोज ने पहली बार यह तरीका दिया जिससे यह पता लगाया जा सका कि कोशिका की झिल्ली में एक-एक चैनल से आयन के गुजरने पर कितनी हल्की बिजली पैदा होती है. उनके काम से यह पता चला कि ये चैनल दिल की धड़कन, मांसपेशियों की गति, देखने और सुनने जैसी मूल प्रक्रियाओं के लिए ज़रूरी होते हैं. इन चैनलों में गड़बड़ी जो जेनेटिक बदलावों के कारण होती है, डायबिटीज और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी बीमारियों से जुड़ी हुई है.
चैनल काम न करें तो इंसान हिल भी नहीं सकता
एर्विन नेहर ने कहा अगर ये आयन चैनल ठीक से काम न करें तो कोई इंसान हिल भी नहीं सकता. इससे दिल भी नहीं धड़केगा और देखने-सुनने जैसी बुनियादी संवेदनाएं भी काम नहीं करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी तकनीक से इन समस्याओं को अधिक सटीक तरीके से समझा जा सका और इलाज बेहतर हो पाया. एर्विन नेहर अब 81 साल के हो चुके हैं और जर्मनी के गोटिंगेन शहर में मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर मल्टीडिसिप्लिनरी साइंसेज़ में भौतिकी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. वे अब भी इस विषय पर रिसर्च कर रहे हैं कि तंत्रिका कोशिकाएं आपस में कैसे संवाद करती हैं. उन्होंने यह भी बताया कि अब आयन चैनल फार्मास्यूटिकल रिसर्च का मुख्य विषय बन चुके हैं.
एर्विन नेहर ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्लोडिपिन जैसी दवाएं आयन चैनल की जानकारी से विकसित की गई हैं. अमेरिका की एफडीए जैसी नियामक संस्थाएं अब सभी नई दवाओं को यह जांचने के लिए कहती हैं कि क्या उनका असर दिल के आयन चैनलों पर तो नहीं पड़ेगा जिससे दवाओं की सुरक्षा बेहतर होती है. लिंडाउ में नेहर ने युवा वैज्ञानिकों के साथ खुलकर चर्चा की और यह बताया कि शरीर की कोशिकाएं कैसे संवाद करती हैं और इसमें कौन-कौन से आणविक और शारीरिक तंत्र काम करते हैं. पहले फिजियोलॉजिस्ट मानते थे कि आयन चैनल सिर्फ चुने हुए खास कोशिकाओं में जरूरी होते हैं. हमारी तकनीक ने दिखा दिया कि ये लगभग हर काम के लिए ज़रूरी हैं.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
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Author: LAKSHMI NARAYAN Source Link :https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-revolutionize-in-blood-pressure-diabetes-treatment-after-nobel-winning-scientist-develope-new-technique-9385911.html
Publish Date: 2025-07-10 19:28:54