Last Updated:
मुर्दों की चीरफाड़ करने वाली एक एक्सपर्ट ने बताया है कि अधिकांश बुजुर्ग सही तरह से मांस ना खाने की वजह से मरते हैं, क्योंकि मांस उनके गले में फंस जाता है. ऐसे में उन्होंने सलाह दी है कि मांस ना खाएं. वहीं कई लो…और पढ़ें

ऑटोप्सी एक्सपर्ट ने बताया कि अधिकांश लोगों की मरने कीवजह मांस ठीक से ना खाना या लड़ाई झगड़ा ही होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
अमेरिका के कोलोराडो की रहने वाली डॉली वहां के मुर्दाघर में ऑटोप्सी टेक्नीशियन हैं. यानी वे मुर्दों की चीरफाड़ की विशेषज्ञ हैं. उन्होंने न्यूज़वीक के इंटरव्यू में दावा किया है कि बहुत सारी लाशों की पड़ताल करने के बाद उन्होंने पाया है कि बहुत से बुजुर्ग लोगों को मांस खाने से बचना चाहिए क्योंकि बहुत सी मौतों की वजह उनके गले में के अंदर मांस का अटकना होता है.
मांस खाने के बाद होने वाली मौतें सबसे ज्यादा आम मौतों में से एक है. आप इसे नहीं चबा सकते हैं तो आप के गले में वह अटक जाएगा और आप फिर मुर्दाघर पहुंच जाएंगे. और फिर मुझे आपके गले के अंदर से इसे निकालना पड़ता है और यह बहुत ही घिनौना लगता है. डॉली ने डेली मेल को बताया कि स्टीक या मांस के टुकड़े अधिक उम्र में या फिर बहुत ही ज्यादा युवावस्था में यह बहुत ही खतरनाक होता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि या तो लोगों को स्टीक या मांस के टुकड़े पूरी तरह से चबा कर खाना चाहिए या नहीं ही खाना चाहिए. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
खाएं तो अच्छे से खाएं वरना ना ही खाएं
वे सलाह देते हुए कहती हैं, “कृपया खाने को पूरी तरह से चबाएं. नहीं तो मांस को तो पूरी तरह से ही नजरअंदाज ही कर दें, तो सही रहेगा.” स्टीक किसी भी जानवर या मछली के मांस का टुकड़ा हो सकता है. आमतौर पर यह गाय के मांस का टुकड़ा होता है. बुजुर्ग और छोटे बच्चे इसे ठीक से चबा नहीं पाते हैं या चबाते नहीं हैं. तभी यह खतरनाक हो जाता है.
इसके अलावा डॉली ने एक और सलाह देती हैं. वे लोगों से कहती हैं कि कभी किसी से झगड़ा नहीं करें. उन्हौंने बहुत से ऐसी लाशें देखी हैं जिन्हें मुर्दाघर लड़ाई झगड़े के बाद लाया गया था.
उनका कहना है कि अगर ना चाहते हुए हो भी जाए तो आप कभी किसी से ये शब्द ना कहें, ‘क्या कर लोगे तुम मेरा, क्या मुझे चाकू मारोगे?’ या फिर, ‘क्या कर लोगे, क्या मुझे गोली मार दोगे?’
डॉली साफ कहती है कि अगर आपने इस तरह के शब्द कहे तो आपके विरोधी ऐसा कर ही देंगे, मैं आपको बता नहीं सकती कि मैंने ऐसे कितने लोगों की चीरफाड़ की है जिनके आखिरी शब्द यही थे. अपराध शास्त्र में भी यही माना जाता है कि अधिकांश हत्याएं खून में अचानक आए उबाल की वजह से होती हैं और ऐसा करने वाले आतदन अपराधी भी नहीं होते हैं.
डॉली का कहना है कि उन्होंने कई तरह की लाशों की चीरफाड़ की है जो बहुत ही अलग अलग वजह से मरे हैं. उन्होंने रोडरोलर के नीचे दब कर मरने वालों से लेकर स्काईडाइविंग करते हुए मरे लोगों के शरीर की भी चीरफाड़ की है. उन्होंने एक तरह से सब देखा है.
As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training…और पढ़ें
As an exclusive digital content Creator, specifically work in the area of Science and technology, with special interest in International affairs. A civil engineer by education, with vast experience of training… और पढ़ें
Author: Vikas Sharma Source :hindi.news18.com
Publish Date: 2025-07-14 08:51:04